डूंगरपुर से 45 किलोमीटर दूर सागवाड़ा ब्लॉक के पास एक गांव है दिवड़ा बड़ा, यहां पर महादेव का एक अनोखा शिवलिंग स्थापित है, जिसे गोरेश्वर महादेव कहा जाता है. ये शिवलिंग साल के 365 दिन पानी में रहता है. मंदिर के पास गुजर रही मोरन नदी में पानी भले सूख जाए, लेकिन शिवलिंग में पानी नहीं सूखा.
इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यह शिवलिंग करीब 400 साल पुराना है और यहां पर इसका स्वयं प्रादुर्भाव हुआ है. लोगों के अनुसार यहां पर मन्नत मांगने पर चर्म रोग की बीमारी दूर होती है और जब चर्म रोग बीमारी दूर होती तब श्रद्धालु शिवलिंग पर नमक चढ़ाते हैं. वहीं, हर साल सावन के महीने में यहां पर हजारों भक्तों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. मंदिर के पुजारी रमणलाल सेवक कहते हैं कि यह एक स्वयंभू शिवलिंग है. उनका मानना है कि 365 दिन पानी में रहने वाला शिवलिंग पूरे भारत में कहीं दूसरी जगह नहीं है. शिव के इस दरबार में जो भी भक्त श्रद्धा से कामना करता है, उसे भगवान शिव जरूर पूरी करते हैं.
दूसरे राज्यों से आते हैं लोगों
ऐसा नहीं है कि गोरेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ स्थानीय लोगों की आस्था है, बल्कि यहां गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और यहां तक कि बेंगलुरु से भी लोग यहां मन्नत मांगने और दर्शन करने के लिए आते हैं. इस शिविलिंग को नमक वाले शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है. खासकर शिवयात्री के दिन भारी मात्रा में लोगों की भीड़ यहां जुटती है. वहीं, मंदिर के पूजारी रमणलाल सेवक का कहना है कि यहां के सिर्फ चर्म रोग के बीमारी से ग्रसित लोगों ही नहीं आते हैं, मोतिया बीन, संतान की प्राप्ति और भी कई सारी मुरादें लेकर यहां आते हैं. पुजारी कहते हैं कि कुछ समय पहले उन्हें भी मोतियाबीन की बीमारी की समस्या थी. मंदिर में मन्नत मांगी और देखते ही देखते उनकी समस्या दूर हो गई.