गुजरात लापता महिला: इंटरनेट की इस दुनिया में सोशल मीडिया सबसे बड़ा हथियार बन गया हैलेकिन इसके फायदे से ज्यादा इसके नुकसान हैं। हम सभी जानते हैं कि सोशल मीडिया पर रोजाना लाखों तरह की जानकारियां और खबरें शेयर की जाती हैं। जिनमें से कई खबरें और सूचनाएं आधारहीन होती हैं यानी जिनमें कोई तथ्य ( फेक न्यूज ) नहीं होता है। जिसे बिना किसी चेक के फॉरवर्ड कर दिया जाता है। जब कोई गंभीर मामला सरकार या सिस्टम के संज्ञान में आता है तो वह उसकी स्पष्ट व्याख्या करता है। तब इस बात काखुलासा गुजरात पुलिस ने किया है।
हाल ही में गुजरात में एक ऐसी खबर वायरल हुई, जिसे लेकर पूरा राज्य आक्रोशित हो गया है. इस वायरल खबर में कहा जा रहा है कि गुजरात में पिछले पांच सालों में 40 हजार से ज्यादा महिलाएं गायब हो चुकी हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुईं। जबकि साल 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली थी। यानी पांच साल में लापता महिलाओं की कुल संख्या 41,621 हो गई है।
ग़ौरतलब है कि फ़िलहाल कुछ न्यूज़ मीडिया में नेशन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आँकड़ों की वजह से यह ख़बर वायरल हुई है कि “पिछले पांच सालों में गुजरात से 41 हज़ार महिलाएं गायब हो गई हैं”। गुजरात पुलिस ने कहा है कि यह जानकारी अधूरी और भ्रामक है।
यह वायरल खबर अधूरी थी। गुजरात पुलिस की ओर से एक ट्वीट किया गया है. ट्वीट से खुलासा हुआ कि साल 2016-2020 में गुजरात से 41621 महिलाएं लापता हुईं। लेकिन इनमें से 39497 (94.90%) महिलाएं वापस आ गईं और वे महिलाएं अपने परिवार के साथ हैं। ये दोनों आंकड़े एनसीआरबी द्वारा भी प्रकाशित किए जाते हैं जिन्हें एनसीआरबी के पोर्टल से भी चेक किया जा सकता है। इस प्रकार कुछ मीडिया में प्रकाशित खबर अधूरी और भ्रामक है।