जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदक के पास कम से कम 120 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए। उसके लिए आवेदन शुल्क 5000 रुपये है।
कोरोना महामारी के बाद दवाओं की कीमत में तेजी से इजाफा हुआ है. जरूरी बीमारियों की दवाएं काफी महंगी हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों को इससे भी बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसी मुश्किल को देखते हुए मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने देश भर में 2000 प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) को प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि केंद्र खोलने की अनुमति दी है। सहकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आपको बता दें कि अभी तक जन औषधि केंद्र बड़े अस्पतालों और शहरों तक ही सीमित है. इस फैसले के बाद गांव में भी जन औषधि केंद्र खोला जाएगा। इससे लोगों को सस्ती दवा मिलने का रास्ता खुलेगा। आपको बता दें कि जन औषधि केंद्र पर जेनेरिक दवाएं मिलती हैं, जो बाजार में मिलने वाली दवाओं से काफी सस्ती होती हैं। यह लोगों को बचाता है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि करीब 1000 जन-औषधि केंद्र इस साल अगस्त तक खुल जाएंगे जबकि शेष जन-औषधि केंद्र दिसंबर तक खुल जाएंगे। सहकारिता मंत्री अमित शाह और रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया के बीच हुई बैठक में PEX समितियों को जन-औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. उसके लिए देशभर में 2000 पीएसी समितियों का चयन किया जाएगा। सहकारिता मंत्रालय ने कहा कि इस अहम फैसले से न केवल पीईएक्स समितियों की आय और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि लोगों को सस्ती कीमत पर दवाइयां भी उपलब्ध कराई जा सकेंगी.
9,400 से ज्यादा जन औषधि केंद्र खुले
देश भर में अब तक 9400 से ज्यादा जन औषधि केंद्र सस्ती दवाएं बेच रहे हैं। इस केंद्र के माध्यम से लगभग 1800 दवाएं और 285 स्वास्थ्य उपकरण बेचे जाते हैं। इन दवाओं की कीमत खुले बाजार में उपलब्ध ब्रांडेड दवाओं से 50-90 फीसदी कम है। जन औषधि केंद्र खोलने के लिए आवेदक के पास 120 वर्ग फीट जगह होनी चाहिए। इसकी आवेदन फीस 5000 रुपये है।