वायुसेना का यह प्रशिक्षण मिशन चीन के लिए एक रणनीतिक संकेत है। चीन लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। बताया जाता है कि 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ चीन इस इलाके में अपना दबदबा कायम करना चाहता है।
सुखोई 30MKI: राफेल के बाद अब सुखोई की गूंज हिंद महासागर से दुश्मन के कानों तक पहुंच गई है. सुखोई-30एमकेआई फाइटर जेट ने हिंद महासागर क्षेत्र में पश्चिमी समुद्र तट पर लंबी दूरी तक हमले का अभ्यास किया है। सुखोई ने यहां आठ घंटे अभ्यास किया है। इससे पहले राफेल ने यहां 6 घंटे अभ्यास किया था। राफेल ने पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस से उड़ान भरी थी और उत्तरी अंडमान को निशाना बनाया गया था। सटीकता के साथ निशाना साधते हुए राफेल ने टारगेट को नेस्तनाबूद कर दिया।
सुखोई-30एमकेआई अब एक अलग धुरी से अपने लक्ष्य को भेदता है। ऐसे में दोनों बीच के इलाके कवर हो जाते हैं। सुखोई के एक बेड़े ने गुजरात के एक एयरबेस से उड़ान भरी और फिर ओमान की खाड़ी के पास लक्ष्य को सटीक निशाना बनाया। भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान लड़ाकू विमान में बीच में ही ईंधन भी भरा गया।
सुखोई की गूंज, चीन को संदेश
वायुसेना का यह प्रशिक्षण मिशन चीन के लिए एक रणनीतिक संकेत है। चीन लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी पहुंच बढ़ा रहा है। बताया जाता है कि 355 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ चीन इस इलाके में अपना दबदबा कायम करना चाहता है। उसके विरोध में भारतीय वायु सेना ने इन दो प्रशिक्षण मिशनों की योजना बनाई थी। मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव है। यहां दोनों तरफ से सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
सुखोई की बढ़ी ताकत
एक समय पर, भारत-चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास अपनी सेना तैनात कर दी थी। हालांकि स्थिति पहले से बेहतर बताई जा रही है। सुखोई पश्चिमी और उत्तरी मोर्चों के अलावा पुणे और तंजावुर में तैनात हैं। सुखोई इग्या ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस है। इसके अलावा इसकी स्पीड भी 290 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 450 किमी प्रति घंटा कर दी गई है। सुखोई को पहले तंजावुर में तैनात किया गया था ताकि भारत हिंद महासागर क्षेत्र की निगरानी कर सके।