भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 35 से अधिक विमानों के साथ एक जुड़वां वाहक आंदोलन किया है। जो हवाई यातायात सुनिश्चित करने और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
हाल के वर्षों में युद्ध कौशल के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक में, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में एक बड़ा ऑपरेशन किया, जिसमें दो विमान वाहक और 35 से अधिक फ्रंटलाइन विमान शामिल थे।
हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच भारतीय नौसेना ने यह बड़ा युद्धाभ्यास किया है। नौसैनिक शक्ति का यह प्रदर्शन अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और समुद्री क्षेत्र में सहकारी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
SKY IS THE LIMIT#IndianNavy undertakes twin-carrier CBG ops with more than 35 aircraft in #ArabianSea, demonstrating its formidable capability in ensuring sustained air ops across the vast maritime expanse & underscoring our commitment to safeguarding India’s national interests. pic.twitter.com/yOsvHFvQqM
— SpokespersonNavy (@indiannavy) June 10, 2023
भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि नौसेना के विमानवाहक पोत- आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत युद्ध अभ्यास के केंद्र में थे। यह भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत ‘फ्लोटिंग सॉवरेन एयरफील्ड्स’ के रूप में काम करते हैं, जो मिग-29के फाइटर जेट्स, एमएच60आर, कामोव, सी किंग, चेतक और एएलएच हेलीकॉप्टरों सहित विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए लॉन्च प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।
‘विमान वाहक पोत का महत्व सर्वोपरि होगा’
जानकारी के अनुसार, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 35 से अधिक विमानों के साथ जुड़वा-वाहट मूवमेंट किया है। जो हवाई यातायात सुनिश्चित करने और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। देश की रक्षा रणनीति तैयार करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में विमानवाहक पोतों का अत्यधिक महत्व होगा।
विमानवाहक पोत को सितंबर में कमीशन किया गया था
जानकारी के मुताबिक, पीएम मोदी ने पिछले साल सितंबर में एयरक्राफ्ट कैरियर का जलावतरण किया था। इस प्रकार देश को 40,000 टन से अधिक रेंज में विमान वाहक बनाने में सक्षम राष्ट्रों के एक विशेष समूह का हिस्सा बना दिया गया है। इसकी क्षमता 30 लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों की मेजबानी करने की है।