ज्येष्ठ मास 2023 नियम: ज्येष्ठ मास को बोलचाल की भाषा में ज्येष्ठ मास कहा जाता है और ज्येष्ठ दोपहर प्रचंड गर्मी के लिए प्रसिद्ध है।कल 6 मई 2023 से जेठ मास शुरू हो रहा है। जिसमें कुछ नियमों का पालन करना होता है।
ज्येष्ठ मास 2023 प्रारंभ तिथियां: हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास में भगवान वरुण की पूजा की जाती है और यह महीना काफी गर्म होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार उत्तर भारत में कल दिनांक 6 मई 2023 शनिवार से ज्येष्ठ मास प्रारंभ हो रहा है। जबकि देश के अन्य प्रांतों में अभी भी उनकी बारी है। इस मास में सूर्य की तीव्र किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं तथा गर्म हवाएँ चलती हैं। इसे जेठ मास भी कहते हैं। जेठ के महीने में भगवान वरुण की पूजा की जाती है और पानी की बर्बादी से बचना चाहिए। इसके साथ ही कुछ नियमों का भी पालन करना चाहिए। नहीं तो इसका बुरा परिणाम भुगतना पड़ेगा।
ज्येष्ठ मास में क्या करें और क्या न करें-
– धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास में एक ही बार सोना चाहिए, यानी दोपहर के समय नहीं सोना चाहिए। माना जाता है कि जेठ माह में दोपहर के समय सोने से कई रोगों से बचाव होता है। हालांकि जेठ की लंबी दोपहर काटना मुश्किल होता है और लोग अक्सर सो जाते हैं, ऐसा करने से बचना चाहिए।
– छठे महीने में दोपहर 1 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर जाने से बचें। दोपहर के इन घंटों में सूर्य की चिलचिलाती किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, जिसका हमारे स्वास्थ्य और त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही यह शरीर में पानी की कमी करता है। यदि किसी कारण से दोपहर में बाहर निकलना जरूरी हो तो बाहर जाने से पहले शरीर को सूती कपड़े से ढक लें और नींबू पानी, जलजीरा, खीरा, तरबूज जैसी ठंडी चीजों का सेवन करें।
– पहले महीने में पानी बर्बाद करने की गलती न करें. ऐसा करने से देवी-देवता नाराज हो जाते हैं और व्यक्ति कंगाल हो जाता है। माना जाता है कि इस समय पानी का अनावश्यक बहाव भी पानी की तरह बहता है। इसलिए अगर आप गरीबी से बचना चाहते हैं तो पानी का इस्तेमाल सोच-समझकर करें।
ज्येष्ठ मास के सभी मंगलवारों का बहुत महत्व होता है और इसलिए इन्हें बड़ा मंगल कहा जाता है। ज्येष्ठ मास के किसी भी मंगलवार को न तो पैसे उधार दें और न ही किसी से पैसे उधार लें। नहीं तो मंगलवार के दिन इस तरह के पैसों का लेन-देन आपको कर्ज में डूबा देगा और आपको जल्दी कंगाल बना देगा।
– ज्येष्ठ मास में खाली हाथ आने वाले जरूरतमंदों को द्वार पर न भेजें, जल, शरबत, अन्न, फल, धन आदि का यथाशक्ति दान करें.