पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में आर्टिकल छपा है. इसमें लिखा है, 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से मोदी की यह छठी अमेरिका यात्रा है. अमेरिका चीन का सामना करने और उसकी आर्थिक प्रगति को रोक लगाने के लिए भारत को आगे बढ़ाने का प्रयास करता दिख रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर रवाना हो गए हैं. यह उनकी पहली स्टेट विजिट है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के न्योते पर अमेरिकी पहुंचे पीएम मोदी का ये दौरा काफी अहम माना जा रहा है. पीएम मोदी यहां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. साथ ही वे व्हाइट हाउस में आयोजित किए गए रात्रिभोज का भी लुत्फ उठाएंगे. पीएम मोदी के अमेरिका दौरे से चीन को मिर्ची लगी है. चीन का कहना है कि अमेरिका भारत के साथ साझेदारी का लाभ खुद को मजबूत करके उठाना चाहता है और दुनिया के मंच पर चीन की ग्रोथ को रोकना चाहता है.
पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स (Global Times) में आर्टिकल छपा है. इसमें लिखा है, 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद से मोदी की यह छठी अमेरिका यात्रा है, लेकिन अमेरिका की उनकी पहली राजकीय यात्रा है. अमेरिका चीन का सामना करने और उसकी आर्थिक प्रगति को रोक लगाने के लिए भारत को आगे बढ़ाने का प्रयास करता दिख रहा है.
भारत को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा अमेरिका- चीन
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में यह कहते हुए चेतावनी दी थी कि अमेरिका द्वारा मोदी को गले लगाने की एक कीमत है. अमेरिका चीन के खिलाफ भारत को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल करने का प्रयास करता है. चीनी अखबार ने भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों का भी जिक्र किया है.
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, ”अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग वर्तमान में बढ़ रहा है. अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक वित्तीय वर्ष में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है. अगर व्यापार गति जारी रहती है तो यह भारत की अर्थव्यवस्था को लाभ देगा. हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अमेरिका ने भारत के साथ आर्थिक और व्यापारिक बातचीत को बढ़ाते हुए कई भू-राजनीतिक जोड़ गणित भी की हैं.
‘ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन को रिप्लेस नहीं किया जा सकता’
चीनी अखबार में आगे लिखा गया, ” भारत के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मौजूदा पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक और व्यापार सहयोग प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के बजाय, अमेरिका तथाकथित इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) को बढ़ावा देने के लिए अधिक उत्सुक है, जिसमें चीन शामिल नहीं है.”
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, अमेरिका के इन प्रयासों को पढ़ना मुश्किल नहीं है. आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका द्वारा भारत के साथ आर्थिक और व्यापार सहयोग को मजबूत करने के जोरदार प्रयास मुख्य रूप से चीन के आर्थिक विकास को धीमा करने के लिए हैं. हालांकि, अमेरिका की यह साजिश विफल है, क्योंकि ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन की स्थिति को भारत या अन्य अर्थव्यवस्थाओं द्वारा रिप्लेस नहीं किया जा सकता है.
‘चीन से भारत का आयात बढ़ा’
वित्त वर्ष 2022-23 में जहां अमेरिका को भारत का निर्यात स्पष्ट रूप से बढ़ रहा है, वहीं चीन से भारत का आयात भी काफी बढ़ गया है. भारतीय आंकड़ों के मुताबिक , वित्त वर्ष 2022-23 में अमेरिका को भारत का निर्यात 2.81 प्रतिशत बढ़कर 78.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया. इस दौरान, चीन से भारत का आयात 4.16 प्रतिशत बढ़कर 98.51 अरब डॉलर पर पहुंच गया. चीन भारत के लिए शीर्ष आयात स्रोत के रूप में बरकरार है.
ग्लोबल टाइम्स में चीन ने लिखा, फैक्ट बताते हैं कि भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन को रिप्लेस कर सकता, ये गलत कथन है. वास्तव में, अमेरिका के साथ भारत का व्यापार चीन के साथ व्यापार को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है और न ही भारत ग्लोबल सप्लाई चेन में चीन की जगह ले सकता है. भारत जितना अधिक अमेरिका को निर्यात करता है, उतना ही उसे चीन से आयात करने की आवश्यकता होती है. वैश्विक औद्योगिक सहयोग को बनाए रखते हुए चीन, भारत और अमेरिका के बीच समान हित मौजूद हैं.