इस्लामिक कैलेंडर के अंतिम माह ज़ुल-हिज्जा में बकरीद मनाई जाती है. भारत में इस साल बकरीद या ईद-उल-अजहा 29 जून दिन रविवार को मनाने की संभावना है. हालांकि बकरीद या अन्य मुस्लिम त्योहार की तारीख चांद को देखकर तय की जाती है. बकरीद को ईद-उल-अजहा भी कहते हैं. इसका अर्थ है कुर्बानी वाली ईद. इस दिन अपने सबसे प्रिय वस्तु की कुर्बानी देकर खुदा के बताए राह पर चलने का प्रयास करते हैं.
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ज़ुल-हिज्जा महीने में मुस्लिम समुदाय के अधिकतर लोग हज करते हैं. मक्का की वार्षिक हज यात्रा का समापन ईद-उल-अजहा के दिन होता है. ज़ुल-हिज्जा के 10वें दिन बकरीद या ईद-उल-अजहा मनाते हैं. इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है. आइए जानते हैं बकरीद या ईद-उल-अजहा का इतिहास और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
1. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हजरत इब्राहिम ने सपने में देखा था कि वे अपने सबसे प्रिय बेटे की कुर्बानी दे रहे हैं. उन्होंने इस सपने को अल्लाह का संदेश मानकर अपने 10 साल के बेटे को कुर्बान करने का फैसला किया.
2. उस बीच अल्लाह ने उनको बेटे की जगह जानवर की कुर्बानी देने का संदेश दिया. तब उन्होंने बेटे के बदले सबसे प्रिय मेमने को खुदा की राह पर कुर्बान कर दिया. तब से ईद-उल-अजहा पर कुर्बानी देने की परंपरा शुरू हो गई.
3. ईद-उल-अजहा पर दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज पढ़ते हैं और खुदा की इबादत करते हैं. उसके बाद जानवर की कुर्बानी देते हैं.
4. ईद-उल-अजहा के दिन लोग भेड़, बकरा और ऊंट की कुर्बानी देते हैं. उसके गोश्त का 3 हिस्सा करते हैं. पहला हिस्सा जरूरतमंद लोगों, दूसरा हिस्सा परिवार और तीसरा हिस्सा रिश्तेदारों तथा दोस्तों में बांटा जाता है.
5. बकरीद में उस जानवर की कुर्बानी करते हैं, जो सबसे प्रिय हो और वह निरोगी हो. उस जानवर को सालभर पहले खरीदा जाता है और उसका पालन-पोषण परिवार के सदस्य के तौर पर किया जाता है.
6. चांद दिखाई देने के आधार पर बकरीद 29 जून को भारत, जापान, सऊदी अरब, मलेशिया, इंडोनेशिया, मोरक्को, कनाडा, सिंगापुर, ब्रुनेई, मोरक्को में मनाने की संभावना है.