Monday, December 23, 2024

क्या ये लोग सचमुच सिकंदर के वंशज हैं? ये महिलाएं 150 साल तक जीवित रहती हैं, यहां तक ​​कि 65 साल की उम्र में भी ये मां बन जाती हैं

दुनियाभर में ज्यादातर लोग अनियमित जीवनशैली के कारण शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन पाकिस्तान की एक घाटी इन सभी समस्याओं से कोसों दूर है. पाकिस्तान की हुंजा घाटी में हुंजा समुदाय शारीरिक रूप से मजबूत है और उन्हें शायद ही कभी अस्पताल जाने की जरूरत पड़ती है।

हुंजा वैली: यह सुनने में अजीब लगता है कि भूख लगे तो अखरोट, अंजीर, खुबानी खाएं, प्यास लगे तो नदी का पानी पिएं, हल्की बीमारी हो तो आसपास उगी जड़ी-बूटियों से इलाज करें, कहीं जाना हो तो , किलोमीटर पैदल चलें और 120 साल तक स्वस्थ जीवन जिएं आमतौर पर शहरों में रहने वाले लोग उम्र बढ़ने के साथ-साथ दवाइयों की खुराक भी बढ़ाने लगते हैं। लेकिन कश्मीर की हुंजा घाटी एक ऐसी जगह है जहां के लोगों को ये नहीं पता कि आखिर दवा होती क्या है. यहां के लोग आम तौर पर 120 साल या उससे अधिक जीवित रहते हैं, और महिलाएं 65 साल की उम्र तक गर्भधारण कर सकती हैं।

जब 152 साल का एक शख्स लंदन एयरपोर्ट पर उतरा:
1984 में अब्दुल मोबत नाम का एक शख्स लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर पहुंचा। यूं तो यहां रोजाना हजारों यात्री आते-जाते हैं, लेकिन अब्दुल सबसे अलग रहे। एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच के दौरान सभी अधिकारी उस वक्त हैरान रह गए जब उन्हें अब्दुल के पासपोर्ट पर उसके जन्मदिन के साल की जगह सन 1832 लिखा हुआ मिला. शायद उसे लगा कि यह किसी तरह की गलती है. इसके चलते अब्दुल की उम्र के बारे में दोबारा जांच की गई। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि सामने खड़ा शख्स 152 साल का है. और इस दौर में उनके खिलाफ खड़ा होना काफी सुरक्षित है. इस घटना का जिक्र 1984 में हांगकांग में प्रकाशित एक दिलचस्प लेख में किया गया था. 152 साल का ये शख्स हुंजा था.

हुंजा समुदाय के लोगों को छू नहीं पाता कैंसर:
गिलगित-बाल्टिस्तान के पहाड़ों में स्थित हुंजा घाटी भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के पास स्थित है। इस प्रजाति की जनसंख्या लगभग 87,000 है। आधुनिक समय में दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी हार्ट अटैक बीमारी, मोटापा, ब्लड प्रेशर, कैंसर जैसी बीमारियों का नाम हुंजा जनजाति के लोगों ने कम ही सुना होगा। उनकी अच्छी सेहत का राज उनकी जीवनशैली है। यहां के लोग पहाड़ों की स्वच्छ हवा और पानी में अपना जीवन व्यतीत करते हैं।

जो उगता है उसे खाओ:
ये लोग बहुत पैदल चलते हैं और कई महीनों तक केवल खुबानी खाते हैं। ये लोग वही खाते हैं जो मिट्टी में उगता है। इन लोगों के मुख्य आहार में खुबानी, सूखे मेवे, सब्जियां और अनाज के अलावा जौ, बाजरा और कुट्टू भी शामिल हैं। इसमें फाइबर और प्रोटीन के साथ शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स होते हैं। ये लोग अखरोट का सेवन अधिक करते हैं। धूप में सुखाए गए अखरोट में बी-17 यौगिक होता है, जो कैंसर से बचाने में मदद करता है।

65 साल की उम्र में भी बच्चे को जन्म दे सकती हैं हुंजा समुदाय की महिलाएं:
इस समुदाय के बारे में आज भी दुनिया में लोग ज्यादा नहीं जानते हैं। लेकिन उनके बारे में जानने के लिए और भी बहुत कुछ है। हम यहां बात कर रहे हैं उत्तरी पाकिस्तान के काराकोरम रेंज की हुंजा घाटी में रहने वाले हुंजा समुदाय के बारे में। उनकी आबादी ज़्यादा नहीं है लेकिन उन्हें दुनिया के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले, सबसे खुश और स्वस्थ लोगों में से एक माना जाता है। हुंजा समुदाय के स्वास्थ्य का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस समुदाय का कोई भी पुरुष आज तक कैंसर का शिकार नहीं हुआ है। हुंजा समुदाय की महिलाएं 65 साल की उम्र तक बच्चे को जन्म दे सकती हैं।

सिकंदर को मानते हैं वंशज :
सिकंदर को अपना वंशज मानने वाले हुंजा समुदाय के आंतरिक और बाहरी स्वास्थ्य का राज यहां की जलवायु है। यहां न तो गाड़ियों का धुआं है और न ही प्रदूषित पानी। लोग कड़ी मेहनत करते हैं और बहुत पैदल चलते हैं। जिसका नतीजा ये है कि यहां के लोग करीब 60 साल तक जवान दिखते हैं और मौत तक बीमारी से दूर रहते हैं। हुंजा धाती अब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में है.

हैरान हैं दुनिया भर के डॉक्टर:
दुनिया भर के डॉक्टर भी मानते हैं कि उनकी जीवनशैली ही उनकी लंबी उम्र का राज है। वो लोग सुबह जल्दी उठते हैं. घाटी और उसके लोगों के बारे में जानने के बाद, डॉ. जे. मिल्टन हॉफमैन ने हुंजा लोगों की लंबी उम्र का रहस्य जानने के लिए हुंजा घाटी की यात्रा की। उनके निष्कर्ष 1968 की पुस्तक हुंजा – सीक्रेट्स ऑफ द वर्ल्ड्स हेल्थिएस्ट एंड ओल्डेस्ट लिविंग पीपल में प्रकाशित हुए थे। यह किताब न सिर्फ हुंजा की जीवनशैली बल्कि स्वस्थ जीवन के रहस्यों को उजागर करने में भी मील का पत्थर मानी जाती है।

प्रकृति के करीब खुश और स्वस्थ:
शहरी जीवन ने भले ही मनुष्य के लिए सुविधाओं के दरवाजे खोले हैं, लेकिन बदले में इसने भारी कीमत भी वसूली है। जो लोग प्रकृति के करीब रहते हैं वे आज भी खुश और स्वस्थ रहते हैं। हम आधुनिकता की अंधी दौड़ में भाग रहे हैं लेकिन बीमारियों का बोझ बढ़ता जा रहा है और उम्र कम होती जा रही है।

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