कंदोवन गांव की कई पीढ़ियां इसी तरह से रही हैं। देखने में ही नहीं रहने में भी खास है यह घर… इस घर की खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप ठंड में हीटर और गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि वातावरण प्रकृति के अनुरूप होता है।
कंदोवन गांव : आज आप पहले यह बताइए कि घर की परिभाषा क्या होती है. ज्यादातर लोग यही कहेंगे कि स्वर्ग का पता घर होता है। और जब स्वर्ग की बात आती है तो वह स्थान किसी भी सुविधा से रहित नहीं है। एक भव्य महल, ढेर सारे नौकर-चाकर, सारी सुख-सुविधाएं स्वर्ग कहलाती हैं… लेकिन इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने एक छोटे से चिड़िया के घोंसले जैसी जगह में अपना स्वर्ग बना लिया है। सुनने में थोड़ा अजीब है..लेकिन हमेशा की तरह यह सच है।
यह ईरान के बारे में है। एक गांव ऐसा भी है जहां करीब 700 साल से लोग गौरैया के मनकों के आकार के घरों में रह रहे हैं। यह घर भी गौरेया के घोसले जैसा लगता है। इस गांव में अजीबो गरीब परंपरा के चलते लोग ऐसे रहते हैं। इसलिए यह गांव पूरी दुनिया में मशहूर है। इस गांव का नाम कंदोवन गांव है। कंदोवन गांव के लोग घोंसलों को अपना घर बनाकर रहते हैं। ऐसे घर में रहने के लिए उन्होंने एक खास तरह का आवास स्वीकार किया है। यह गांव अपनी परंपरा के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है क्योंकि यहां के लोग पक्षियों की तरह रहते हैं।
कंदोवन गांव की कई पीढ़ियां इसी तरह से रही हैं। देखने में ही नहीं रहने में भी खास है यह घर… इस घर की खासियत जानकर हैरान रह जाएंगे आप ठंड में हीटर और गर्मी में एसी की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि वातावरण प्रकृति के अनुरूप होता है। यह घर आरामदायक है। इस खास घर में लोग किसी भी मौसम में आराम से रहते हैं।
यहां के लोगों ने ऐसा घर क्यों बनाया, वजह हैरान करने वाली है।
सालों पहले यहां मंगोलों का आतंक था, यहां के लोगों ने मंगोलों के हमले से बचने के लिए ऐसे घोसले बना लिए थे। कंदोवन के निवासी मंगोलों के आतंक से बचकर यहाँ आये थे। वे छिपने के लिए ज्वालामुखीय चट्टानों में अपना घर बनाते थे और यहीं बस जाते थे। तब से यह परंपरा चली आ रही है और चलती रहेगी। कहा जाता है कि हमारे व्यक्तित्व में कहीं न कहीं अतीत की छाया होती है। ऐसा ही कुछ इस गांव में हुआ है।