विश्व पर्यावरण दिवस: पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है। तो एक रिपोर्ट कहती है कि गुजरात में जंगल कम हो रहे हैं, गुजरात के जंगलों से पेड़ गिर रहे हैं
गुजरात वन: गुजरातियों को घूमने का शौक होता है। वीकेंड गेटअवे पर जा रहे हैं। लेकिन घूमने के शौकीन गुजरातियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। गुजरात में वन घट रहे हैं। अतः कहा जा सकता है कि गुजरात में वन प्रदेश का विनाश हो रहा है। यह खुलासा फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ‘इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट- 2021’ में हुआ है। आज पर्यावरण दिवस पर यह जानकारी ज्ञात होनी चाहिए कि गुजरात में 2019 की तुलना में वन क्षेत्र में 69 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। लेकिन दूसरी ओर, दो वर्षों में राज्य के वृक्षावरण में 1423 वर्ग किमी की भारी कमी आई है। यानी गुजरात में पेड़ कम हो गए हैं। यह चिंताजनक बात है।
5 जून को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। तो आज के दिन औद्योगिक विकास की ओर बढ़ रहे गुजरात के लिए एक बात चिंताजनक है। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में जंगल कम हो रहे हैं। ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच संगठन के अनुसार, 2001 से 2021 तक, गुजरात में 101 हेक्टेयर वृक्षों का आवरण खो गया है। इन पेड़ों के नष्ट होने के पीछे कई कारण हैं। विशेष रूप से, हरे-भरे नर्मदा और डांग जिलों में सबसे अधिक वृक्षों का आवरण खो गया है।
रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, गुजरात ने पिछले 20 वर्षों में 101 हेक्टेयर वृक्षों का आवरण खो दिया है। है मुख्य कारण आग है। कुल 9 हेक्टेयर भूमि में आग के कारण वृक्षों का आच्छादन है, जबकि 92 हेक्टेयर भूमि में अन्य कारणों से वृक्षों का आच्छादन कम हो गया है। आग की घटनाओं के कारण गुजरात के जंगलों से कई पेड़ जलकर खाक हो गए हैं। संगठन के सर्वेक्षण के अनुसार, जामनगर, गिर सोमनाथ, पोरबंदर, मोरबी को पिछले चार हफ्तों में आग लगने की सबसे अधिक चेतावनी मिली है। सर्वे के मुताबिक जिस तरह से पेड़ों का आच्छादन घट रहा है वह चिंता का विषय है।
दूसरी ओर, 23 मई 2023 से 30 मई 2023 के बीच गुजरात में 489 VIIRS फायर अलर्ट की सूचना मिली है। 1 जून 2020 से 29 मई 2023 के बीच 15,968 फायर अलर्ट प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2022 में 8000 हेक्टेयर भूमि में आग लग चुकी है, जो 2021 में 76000 हेक्टेयर में लगी थी। पिछले 4 हफ्तों में सबसे ज्यादा लैंड फायर अलर्ट जामनगर, गिर सोमनाथ, पोरबंदर, मोरबी में मिले हैं।
इसके अलावा सरकार ने कई वन भूमि उद्योगपतियों को उपहार में दी है। 13 वर्षों में गुजरात में कुल 13 हजार हेक्टेयर वन भूमि अन्य उद्देश्यों के लिए दी गई है। वर्ष 2016-17 से 2020-21 तक केवल गुजरात में 5340 हेक्टेयर भूमि गैर-वन उद्देश्यों के लिए आवंटित की गई है। वनों के कम होने का एक कारण यह भी है। लेकिन कहा जाता है कि सरकारी बहीखाते में जंगल की मात्रा बढ़ गई है।
आज पर्यावरण दिवस पर गुजरात को फिर से हरा-भरा बनाने का संकल्प लेना आवश्यक है। गुजरात में उद्योगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस प्रकार कार्बन उत्सर्जन बढ़ रहा है। पर्यावरण में संतुलन बनाए रखना है तो पेड़ लगाना जरूरी है।