Wednesday, December 25, 2024

2000 Note Withdrawal Impact: मिनी नोटबंदी की कीमत! ATMs से कितना बढ़ेगा बैंकों का सिरदर्द?

Note Withdrawal: साल 2016 में नोटबंदी के बाद बैंकों को एटीएम पर मोटा खर्च करना पड़ गया था. क्या इस बार भी बैंकों का सिरदर्द के साथ खर्च भी बढ़ने वाला है या उन्हें कोई राहत मिल सकती है?

देश में सबसे बड़ी प्रचलित करेंसी यानी 2000 रुपये के नोटों को वापस लिए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस संबंध में रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) के द्वारा किए गए ताजा ऐलान को लोग मिनी नोटबंदी (Mini Demonetisation) बता रहे हैं. सेंट्रल बैंक के इस ऐलान के बाद कई बदलाव दिखने लगे हैं. एक वर्ग के लोगों के बीच 2000 रुपये के नोटों को लेकर घबराहट का माहौल है. वहीं बैंकों के कामकाज से लेकर ज्वेलरी की दुकानों और पेट्रोल पम्पों तक पर इस फैसले का असर दिख रहा है. 2000 रुपये के नोटों को बंद करने का एक और असर बैंकों के एटीएम (ATMs) पर भी हो सकता है.

बैंकों को महंगी पड़ी थी नोटबंदी
साल 2016 में हुई नोटबंदी के बाद बैंकों को एटीएम पर मोटा खर्च करना पड़ा था. उस समय सरकार ने तत्कालीन प्रचलन की 500 रुपये की और 1000 रुपये की करेंसी को बंद किया था. उसके बाद सरकार ने 500 रुपये और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए थे. 2016 की नोटबंदी में बंद की गई करेंसी और उसकी जगह पर लाई गई करेंसी, दोनों में साइज समेत कई अंतर थे. इस कारण बैंकों को अपने सारे एटीएम रीकंफिगर कराने पड़े थे. इस बार भी कुछ वैसा ही असर होने की आशंका जताई जा रही है.

नोटबंदी में हुए थे कई बड़े बदलाव
हालांकि बैंकिंग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि इस बार संभवत: बैंकों को एटीएम पर कोई खर्च नहीं करना पड़े. दरअसल नोटबंदी के समय बैंकों के सामने जो दिक्कतें आई थीं, खासकर एटीएम और एटीएम के परिचालन को लेकर, वे बिलकुल अलग थीं. तब चूंकि नोटों के साइज बदल गए थे, इस कारण एटीएम के उन बॉक्सेज को अपग्रेड करने की जरूरत पड़ी थी, जिनमें पैसे डाले जाते हैं. इसके अलावा नोटों की पहचान भी बदली थी तो सॉफ्टवेयर को लेकर भी कुछ बदलाव करने पड़े थे.

2016 से बहुत अलग है
स्थिति इस बार के हालात पूरी तरह से अलग हैं. इस बार पुराने नोट को बंद कर उसकी जगह नए नोट जारी नहीं हुए हैं. ऐसे में नोटों की साइज का कोई इश्यू नहीं है, तो एटीएम के हार्डवेयर में इस वजह से कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है. दूसरी ओर सॉफ्टवेयर के मोर्चे पर भी बदलाव करने की कोई खास आवश्यकता नहीं है. यह जरूरत भी तब होती, जब पुराने नोट बंद कर उसकी जगह पर नए नोट लाए जाते.

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