अडाणी-हिंडनबर्ग केस में सुप्रीम कोर्ट कमेटी की जांच रिपोर्ट को आज यानी शुक्रवार को सार्वजनिक कर दिया गया। कमेटी ने अपनी ये रिपोर्ट 6 मई को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शेयर प्राइस मैनिपुलेशन के आरोपों पर यह फैसला करना संभव नहीं है कि इसकी वजह SEBI की रेगुलेटरी नाकामी है।
एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के पॉइंट…
- सेबी को संदेह है कि 13 विदेशी फंडों के अडाणी ग्रुप के साथ संबंध हो सकते हैं।
- अडाणी ग्रुप के शेयरों में आर्टिफिशियल ट्रेडिंग का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है।
- कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी।
शॉर्ट पोजीशन यानी ट्रेडर अपने पास शेयर न होते हुए भी उसे बेच देता है। बाद में कीमत नीचे गिरने पर इसे खरीद लिया जाता है। मान लीजिए X नाम की एक कंपनी का भाव अभी 100 रुपए है। ट्रेडर के पास इस कंपनी के शेयर नहीं है, लेकिन उसे लगता है कि भाव नीचे जाएगा तो वो उसे 100 रुपए पर बेच देता है। कुछ दिन बाद शेयर का भाव 90 रुपए पर आ जाता है। ट्रेडर इस भाव पर इसे खरीदकर 10 रुपए का मुनाफा बना लेता है।
कमेटी की रिपोर्ट के मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को
इस मामले पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। इंडिपेंडेंट कमेटी की सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा था कि उसे इस रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए समय चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट पक्षकारों को भी दी जाएगी। रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। CJI डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की बेंच ने इस पर सुनवाई की।
कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी 6 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने इंडिपेंडेंट कमेटी को ये काम सौंपे थे:
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट से बनी स्थिती का ओवरऑल असेसमेंट करना।
- हाल के दिनों में सिक्योरिटीज मार्केट में आई अस्थिरता के कारण।
- इन्वेस्टर अवेयरनेस को मजबूत करने के उपाय सुझाना होगा।
- क्या किसी तरह का कोई रेगुलेटरी फेल्योर हुआ था।
अब तक क्या क्या हुआ?
1. हिंडनबर्ग ने लगाए थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।
2. अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में चार जनहित याचिका दायर
- मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
- विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
- जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
- मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।
3. कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी 6 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।
4. सेबी को इन 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था…
- क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
- क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?
मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए।
5. सेबी को जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय मिला
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया है। कोर्ट ने इससे पहले 2 मार्च को सेबी को जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। यानी उसे 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। हालांकि, सेबी ने कहा था कि अडाणी ग्रुप के ट्रांजैक्शन काफी कॉम्प्लेक्स है, इसलिए जांच के लिए उसे कम से कम 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिए।