एप्पल पार्क: एप्पल पार्क कैलिफोर्निया में स्थित है। यह एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। यह एपल पार्क ऊपर से फुटबॉल के मैदान जैसा दिखता है। यहां एप्पल बिल्डिंग में कई लॉकडाउन रूम बनाए गए हैं। एपल के मुख्यालय में हर कदम पर कैमरों से नजर रखी जाती है।
कैलिफोर्निया में स्थित एपल के मुख्यालय एपल पार्क को देखें तो यह किसी फुटबॉल स्टेडियम जैसा दिखेगा। एपल (एप्पल पार्क) का यह मुख्यालय किसी खुफिया एजेंसी से कम नहीं है। इसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 175 एकड़ में फैली एपल बिल्डिंग एयरटाइट है। इस बिल्डिंग में कई ऐसे कमरे हैं जो टॉप सीक्रेट हैं। इन कमरों में खिड़कियां नहीं हैं। इसे कहते हैं लॉकडाउन रूम। इस बिल्डिंग के कई कमरों में काले शीशे लगे हैं। इन कमरों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यहां से कोई भी जानकारी बच नहीं सकती है।
हर कोने पर रहती है नजर-
एपल की इस एयरटाइट बिल्डिंग में कई ऐसे इलाके हैं जहां जाना बिल्कुल मना है. भवन के नुक्कड़ों के अलावा कूड़ेदानों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। जब भी किसी नए कर्मचारी की भर्ती की जाती है तो उसका रोल क्लियर नहीं किया जाता है। कई राउंड के इंटरव्यू के बाद कर्मचारी को ज्वाइनिंग दी जाती है। Apple के पूर्व कर्मचारियों के अनुसार, कंपनी के पास हर उत्पाद के लिए एक कोड नाम होता है। विशेष टीमों में काम करने वाले कर्मचारी किसी को नहीं बताते कि वे क्या काम कर रहे हैं। एपल में काम करने वाले ज्यादातर कर्मचारी काफी फिट नजर आते हैं।
कर्मचारी को मिलती है शानदार सैलरी-
एपल में काम करने वाले कर्मचारियों को अच्छी सैलरी मिलती है। कंपनी कर्मचारियों को कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एपल में सीनियर डायरेक्टर लेवल पर दो लाख डॉलर यानी करीब 15 करोड़ रुपये सैलरी दी जाती है. इसके अलावा बोनस भी मिलता है। कंपनी यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि कर्मचारी दूसरी कंपनी में न जाए। इसके लिए कर्मचारियों को अच्छा वेतन मिलना चाहिए।
गैराज से हुई एपल की शुरुआत –
एपल कंपनी की शुरुआत गैराज से हुई थी। 1 अप्रैल 1976 को स्टीव जॉब्स ने अपने दोस्त वोज्नियाक के साथ मिलकर एक गैरेज से एप्पल कंपनी की शुरुआत की। 1985 में स्टीव जॉब्स का कंपनी के मुख्य कार्यकारी जॉन स्कली से विवाद हो गया था। इस वजह से उन्हें Apple से निकाल दिया गया था। 1997 में स्टीव ने वापसी की। अगस्त 2011 में जब टिम कुक कंपनी के सीईओ बने। इससे पहले वे चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थे।