चीन ने एक बार फिर नापाक हरकत की है जो चीन के खतरनाक इरादों की ओर भी इशारा करता है। चीन ने भारत के एक राज्य में 11 जगहों के नाम बदलकर नए नाम कर हड़कंप मचा दिया है। चीन ने तीसरी बार ऐसा किया है। यह इससे पहले 2018 और 2021 में भी कर चुका है।
चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य पर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश की है। अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के नए नामों का एक सेट जारी किया गया है। यह तीसरी बार है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदले हैं। जिसे चीन ‘जंगनान, तिब्बत का दक्षिणी भाग’ कहता है। चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने कल चीनी, तिब्बती और पिनयिन अक्षरों में नामों का एक सेट जारी किया जो चीन के मंत्रिमंडल की राज्य परिषद द्वारा जारी भौगोलिक नाम विनियमों के अनुसार थे।
चीन द्वारा जारी सूची में पांच पर्वत शिखर, दो भूमि क्षेत्र, दो आवासीय क्षेत्र और दो नदियां शामिल हैं। इससे पहले 2018 और 2021 में ऐसी दो सूचियां जारी की गई थीं। चीन ने 2017 में छह नामों की सूची जारी की जबकि 2021 में उसने अरुणाचल प्रदेश में 15 स्थानों का नाम बदला।
भारत का तेवर
भारत ने दोनों बार चीन के दावों को मजबूती से खारिज किया। जिसमें कहा गया था कि राज्य हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दिसंबर 2021 में कहा था कि यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश राज्य में जगहों के नाम बदलने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के स्थानों को आविष्कृत नाम देने से यह तथ्य नहीं बदल जाता। द ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, जो चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य समाचार पत्र पीपुल्स डेली समूह के प्रकाशनों का हिस्सा है, चीनी अधिकारी इस कदम को ‘मानकीकृत भौगोलिक नाम’ कह रहे हैं।
दलाई लामा की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के बाद 2017 में चीन द्वारा नामों के पहले सेट की घोषणा की गई थी। चीन ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता की यात्रा की कड़ी आलोचना की। दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश के तवांग के रास्ते तिब्बाग से भाग निकले और 1959 में हिमालय क्षेत्र के चीनी सैन्य अधिग्रहण के बाद भारत में शरण ली।
इस बार फिर भारत ने चीन द्वारा मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में 11 जगहों के नाम बदलने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा स्थानों के नाम बदलने पर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमने ऐसी खबरें देखी हैं, यह पहली बार नहीं है जब चीन ने ऐसा प्रयास किया है। हम इसे अस्वीकार करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा। इस तरह के प्रयास से हकीकत नहीं बदलेगी।