मंदिर की परिक्रमा: हिंदू धर्म के अनुसार मंदिर में पूजा करने के बाद भगवान की परिक्रमा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, परिक्रमा से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर होते हैं।
मंदिर की परिक्रमा : परिक्रमा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। परिक्रमा भगवान की मूर्ति, पवित्र वृक्ष, पर्वत, नदियों और मंदिर के चारों ओर की जाती है। आपने भी देखा होगा कि जब कोई व्यक्ति किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाता है तो दर्शन करने के बाद वह बाहर आकर मंदिर की परिक्रमा करता है। हिंदू धर्म में पूजा के बाद मंदिर की परिक्रमा का भी विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म के अनुसार मंदिर में पूजा करने के बाद भगवान की परिक्रमा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है और पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं, परिक्रमा से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर होते हैं।
मंदिर की परिक्रमा कैसे करें
मंदिर में परिक्रमा हमेशा दक्षिणावर्त करनी चाहिए। किसी भी मंदिर की परिक्रमा तीन बार करनी चाहिए जिसमें मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। धर्म शास्त्र के अनुसार परिक्रमा दक्षिणाचारम् का अर्थ है कि परिक्रमा करने वाले का दाहिना भाग गर्भगृह में बैठे देवता की ओर होना चाहिए।
परिक्रमा के लाभ
मंदिर में पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से नकारात्मक भावनाएं खत्म हो जाती हैं। साथ ही मानसिक चिंता दूर होती है और आराम महसूस होता है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर की परिक्रमा भगवान से जुड़ने का आध्यात्मिक तरीका माना जाता है। मंदिर की परिक्रमा करने वाले पर भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है।